Monthly Archives: December 2013

संतन को कहा सीकरी : (शिवमूर्ति)

पहले पहल ‘अपराध’ से जाना संजीव भाई को। सारिका काजनवरी-८० का अंक आया था। उसमें ‘अपराध’ प्रथम पुरस्कृतकहानी के रूप में प्रकाशित हुई थी। परिचय में लिखा था, जन्मसुल्तानपुर में। अरे, मेरे अपने जिले का लड़का। चेहरे-मोहरेसे भी मेरे जैसा … Continue reading

story ……..Tiriya Charittar : (Shivmurti)

The story Tiriya Charittar, first published in reknowned hindi monthly Hans and awarded first prize. A film directed by vasu chatarji, starring Nasiruddin shah and Om puri was also made. also dramatised and staged more than hundred shows. Tiriyacharittar-The Fallen … Continue reading

कहानी….. सागर सीमान्त : (संजीव)

यहाँ तो नावें चटर्जी बाबू की, जाल चटर्जी बाबू के। हम लोग क्या हैं-सिर्फ भाड़े के टट्टू! नाव भर-भरकर चाँदी-सी चमकती मछलियों की ढेर लदी आती है और हमारे हिस्से क्या आता है?-छाई ;ख़ाकद्ध! आधी तो झी हाट में तोलवा … Continue reading

जंग जारी है : (शिवमूर्ति)

उपन्यास अंश……….. आज गांवों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। पुराने मूल्यों, मान्यताओं और मान-मर्यादा के मानदंड बदल गए हैं, बदल रहे हैं। अर्थ-लिप्सा गांवों को भी अपने शिकंजे में कस रही है…. गांवों के नाम पर आने वाली … Continue reading

उपन्यास तर्पण पर एक टिप्पणीकार के विचारः (प्रेम शशांक)

तर्पण भारतीय समाज में सहस्राब्दियों से शोषित, दलित और उत्पीड़ित समुदाय के प्रतिरोध एवं परिवर्तन की कथा है। इसमें एक तरफ कई-कई हजार वर्षों के दुःख, अभाव और अत्याचार का सनातन यथार्थ है तो दूसरी तरफ दलितों के स्वप्न, संघर्ष … Continue reading

लेखकों, आलोचकों ने मिलकर भगाया पाठकों को : (शिवमूर्ति)

किस्सागोई  वाच्य-श्रवण विधा से निकलकर कथा-कहानी लेखन और पाठन परंपरा में प्रवेशित एवं संस्कारित हुई। व्यापकता और स्थिरता में वृद्धि हुई। राजा-रानी और हाथी-घोड़े के पटल को त्याग कथा-साहित्य ने एक ठोस और मुकम्मल जमीन तलाश किया। परी कथाओं के … Continue reading

समय ही असली स्रष्टा है : (शिवमूर्ति)

कहानी प्रत्रिका कथादेश  ने अपने परिवेश और रचना प्रक्रिया पर मैं और मेरा समय शीर्षक से विभिन्न लेखकों की लेखमाला शुरू किया था मेरा आलेख ‘समय ही असली श्रष्टा है’ शीर्षक से अगस्त, सितम्बर तथा अक्टूर २००३ में प्रकाशित हुआ था। … Continue reading

समकालीन हिंदी कहानीः दिशा और उसकी चुनौतियां : (शिवमूर्ति)

मैं पहले भी कह चुका हूं कि आलोचक की भूमिका माली की होती है, न कि लकड़हारे की। उसे बगीचे के पौधों की काट-छांट का अधिकार है, न कि उनका सिर कलम करने का। किंतु आज के अधिकांश आलोचक माली … Continue reading

केशर कस्तूरीः (शिवमूर्ति)

अक्सर देखने में आता है कि स्त्रियों से संबंधित समस्याओं पर लेखिकाएं ही ज्यादा हिस्सेदारी निभाती हैं और वे स्त्रियों से संबंधित लेखन करते-करते इसे अपना रचना-धर्म बना लेती हैं। और इसीलिए हमारे देश का एक बड़ा साहित्यिक वर्ग पूछता … Continue reading

त्रिशूल (उपन्यास ) का एक अंश

” त्रिशूल’ कहानी पत्रिका ‘हंस’ के अगस्त व सितम्बर 93 के अंको में प्रकाशित हुआ था। पुस्तक रूप में यह राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली से 1995 में प्रकाशित हुआ।  उपन्यास के सम्बन्ध में इसके ब्लर्ब में कहा गया है कि … Continue reading